Peetambari Neelam यानी पीलापन लिए हुए नीला नीलम रत्न, कुछ खास zodiac signs के लिए जीवन में career growth, business success और मानसिक शांति का द्वार खोल सकता है। इस शक्तिशाली रत्न को सही विधि और समय पर पहनने से ग्रहों की अनुकूलता बढ़ती है और Saturn (Shani) का सकारात्मक प्रभाव मिलता है।
जानिए कौन-कौन सी rashiyan (zodiac signs) इस रत्न को पहनकर लाभ पा सकती हैं, साथ ही इसकी wearing method, astrological benefits और जरूरी सावधानियां भी।
Pitambari Gemstone Benefits: शनि और बृहस्पति की कृपा पाने का दिव्य रत्न
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जीवन में ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को संतुलित करने के लिए gemstones यानी रत्नों का विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से एक है Pitambari Neelam, जो न सिर्फ एक दुर्लभ रत्न है, बल्कि शनि देव (Saturn) और गुरु बृहस्पति (Jupiter) दोनों की कृपा प्रदान करने वाला अनोखा रत्न भी है।
Pitambari Gemstone में नीली और पीली दोनों आभाएं पाई जाती हैं, जो इसे अन्य रत्नों से विशिष्ट बनाती हैं। इस रत्न को धारण करने से व्यक्ति में positivity, faith, और spiritual growth आती है। साथ ही शनि की कृपा से वह मेहनती, अनुशासित और स्थिर मानसिकता वाला बनता है, जबकि गुरु की कृपा उसे बुद्धिमान, न्यायप्रिय और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाती है।
यह रत्न उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है जिनकी कुंडली में Shani dosh, Guru-Chandal yog, या career instability जैसे योग बनते हैं। यदि इसे सही vidhi (method) और शुभ मुहूर्त में पहना जाए, तो यह professional growth, business success, और mental peace के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है।
अगले सेक्शन में जानें इसकी पहनने की विधि, किन राशियों के लिए यह अनुकूल है और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए…

Pitambari Neelam: इन राशियों और ग्रह स्थितियों में है सबसे अधिक लाभकारी
Pitambari Neelam benefits सबसे अधिक उन जातकों को मिलते हैं जिनकी राशि Kumbh (Aquarius), Makar (Capricorn), Dhanu (Sagittarius) या Meen (Pisces) है। लेकिन इसे धारण करने से पहले birth chart (janam patri) में Saturn (Shani) और Jupiter (Guru) की स्थिति का विश्लेषण ज़रूरी होता है।
यदि शनि और गुरु नीच राशि या शत्रु राशि में स्थित हों, तो Pitambari gemstone पहनना लाभकारी नहीं होता। वहीं, अगर ये ग्रह पंचम, नवम या दशम भाव में स्थित हों और उच्च के हों, तो यह रत्न विशेष फलदायी होता है।
यह रत्न उन लोगों के लिए भी उपयोगी है जिनकी कुंडली में शनि और गुरु की स्थिति कमज़ोर डिग्री में हो यानी जिनका planetary strength कमज़ोर हो। ऐसी स्थिति में यह रत्न जीवन में career growth, mental clarity, और spiritual progress लाने में मदद करता है।
एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि Pitambari Neelam के साथ Gomed (Hessonite) रत्न कभी भी नहीं पहनना चाहिए, क्योंकि यह दोनों रत्न एक-दूसरे के विपरीत प्रभाव दे सकते हैं, जिससे astrological conflicts उत्पन्न हो सकते हैं और harmful results सामने आ सकते हैं।
Pitambari Neelam पहनने के चमत्कारी लाभ – आत्मविश्वास, आय और शनि दोष से राहत
Pitambari Neelam benefits न सिर्फ मानसिक और आध्यात्मिक रूप से, बल्कि व्यावसायिक जीवन में भी गहरा प्रभाव डालते हैं। इस रत्न को धारण करने से व्यक्ति के अंदर self-confidence बढ़ता है और उसकी decision-making ability मजबूत होती है।
इस रत्न का असर व्यक्ति की कार्यशैली (work efficiency) और व्यवहार में संतुलन लाता है। यह न केवल सोच को सकारात्मक बनाता है, बल्कि जीवन में स्थिरता भी प्रदान करता है।
जिन लोगों की कुंडली में Shani Sade Sati या Dhaiya का प्रभाव चल रहा हो, उनके लिए Pitambari gemstone एक कारगर उपाय माना जाता है। यह रत्न इन अशुभ प्रभावों को कम करने में सहायक होता है और मानसिक शांति के साथ-साथ जीवन में आय और अवसरों की भी वृद्धि करता है।
Financial growth, career clarity, और planetary peace के लिए यह रत्न एक उत्तम विकल्प है, बशर्ते इसे योग्य पंडित की सलाह से और शुभ मुहूर्त में पहना जाए।
How to Wear Pitambari Neelam: सही विधि से करें धारण और पाएं पूर्ण फल
Pitambari Neelam को यदि सही विधि और शुभ मुहूर्त में धारण किया जाए, तो यह अपने astrological benefits पूरे रूप से प्रदान करता है। इस रत्न को पंचधातु की अंगूठी में जड़वाना सबसे शुभ माना गया है।
इसे खरीदते समय ध्यान रखें कि रत्न की वज़न 7 से सवा 8 रत्ती (carat) के बीच हो। बहुत हल्का या भारी रत्न कुंडली के अनुरूप प्रभाव नहीं दे पाता।
Wearing Day की बात करें तो Saturday या Thursday, अथवा Shani या Guru की होरा के समय इसे धारण करना उत्तम माना गया है। इस रत्न को मध्यमा (middle) उंगली में पहनना चाहिए, क्योंकि यह उंगली शनि ग्रह से संबंधित होती है और इसी मार्ग से उसकी ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है।
धारण करने से पहले इसे गंगाजल, कच्चा दूध, शहद, और तुलसी जल से शुद्ध करना चाहिए, और उसके बाद “ॐ शं शनैश्चराय नमः” या “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप कर इसे पहना जा सकता है।
Disclaimer:
यह लेख ज्योतिषीय मान्यताओं और पारंपरिक शास्त्रों पर आधारित है। Pitambari Neelam या किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी अनुभवी और प्रमाणित ज्योतिषी से अपनी जन्मपत्री (kundli) की जांच अवश्य कराएं। रत्नों का प्रभाव व्यक्ति की कुंडली, ग्रहों की स्थिति और दशा पर निर्भर करता है। बिना उचित सलाह के रत्न धारण करना हानिकारक भी हो सकता है। प्रस्तुत जानकारी केवल सामान्य जागरूकता और धार्मिक-आध्यात्मिक संदर्भ में दी गई है।